फरवरी में देश का सोने का आयात 20 साल के निचले स्तर पर आ गया

मुंबई: वैश्विक स्तर पर सोने की ऊंची कीमतों के चलते चालू महीने में भारत का सोने का आयात सालाना आधार पर 85 प्रतिशत तक कम रहा है। वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि फरवरी में आयात 20 साल के निचले स्तर पर देखा गया। फरवरी 2024 में 103 टन के मुकाबले, चालू महीने में सोने का आयात लगभग 15 टन होने का अनुमान है, जो पिछले दो दशकों में एक महीने में सबसे कम है।जनवरी में सोने का आयात मात्रा के हिसाब से 35 टन से नीचे रहा, जबकि मूल्य के लिहाज से यह दिसंबर के 2.68 अरब डॉलर के मुकाबले 43 प्रतिशत कम रहा।
दुनिया में सोने के दूसरे सबसे बड़े आयातक भारत में सोने का कम आयात न केवल व्यापार घाटे को नियंत्रण में रखने में मदद करेगा, बल्कि डॉलर के मुकाबले रुपये को और कमजोर होने से भी रोकेगा।
भू-राजनीतिक अशांति के कारण, 2024 में अधिकांश वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की महत्वपूर्ण खरीद हुई, जिसके कारण सोने की कीमतों में रिकॉर्ड उछाल आया। मौजूदा सप्ताह में सोने का भाव 2956 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर तक उछला। ऊंची कीमतों ने भारत में व्यापारियों और ज्वैलर्स की लिवाली धीमी कर दी है।
सूत्रों ने यह भी कहा कि अगर कीमतें अधिक रहती हैं, तो भारत में खरीद में और गिरावट देखने की संभावना है।
वैश्विक स्तर पर ऊंचे भाव के चलते घरेलू बाजार में भी दस ग्राम सोने का भाव 86590 रुपये के साथ रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
2024 में देश की सोने की मांग अधिक रहने के बाद चालू वर्ष में इसमें गिरावट देखने की संभावना है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक सोने की कीमतों में लगातार हो रही तेजी की वजह से चालू साल में गहनों की मांग कम रहने की संभावना है। 2024 में देश की सोने की मांग सालाना आधार पर पांच प्रतिशत बढ़कर 802.80 टन हो गई, जिसके 2025 में घटकर 700 से 800 टन के बीच रहने की उम्मीद है।
देश में सोने की कुल मांग में आभूषणों की मांग 70 प्रतिशत है। परिषद के सूत्रों ने कहा कि सोने की बढ़ती कीमतों से आभूषणों की मांग प्रभावित हो सकती है, लेकिन निवेश मांग अभी भी बरकरार है।
2024 में देश की सोने की मांग नौ साल के उच्च स्तर पर थी, लेकिन चालू वर्ष में इसमें गिरावट दिखाई दे रही है। सोने की कीमतें ऊंची होने की स्थिति में सबसे ज्यादा असर ज्वैलरी डिमांड पर देखने को मिल रहा है।
मुंबई: वैश्विक स्तर पर सोने की ऊंची कीमतों के चलते चालू महीने में भारत का सोने का आयात सालाना आधार पर 85 प्रतिशत तक कम रहा है। वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि फरवरी में आयात 20 साल के निचले स्तर पर देखा गया। फरवरी 2024 में 103 टन के मुकाबले, चालू महीने में सोने का आयात लगभग 15 टन होने का अनुमान है, जो पिछले दो दशकों में एक महीने में सबसे कम है।जनवरी में सोने का आयात मात्रा के हिसाब से 35 टन से नीचे रहा, जबकि मूल्य के लिहाज से यह दिसंबर के 2.68 अरब डॉलर के मुकाबले 43 प्रतिशत कम रहा।
दुनिया में सोने के दूसरे सबसे बड़े आयातक भारत में सोने का कम आयात न केवल व्यापार घाटे को नियंत्रण में रखने में मदद करेगा, बल्कि डॉलर के मुकाबले रुपये को और कमजोर होने से भी रोकेगा।
भू-राजनीतिक अशांति के कारण, 2024 में अधिकांश वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की महत्वपूर्ण खरीद हुई, जिसके कारण सोने की कीमतों में रिकॉर्ड उछाल आया। मौजूदा सप्ताह में सोने का भाव 2956 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर तक उछला। ऊंची कीमतों ने भारत में व्यापारियों और ज्वैलर्स की लिवाली धीमी कर दी है।
सूत्रों ने यह भी कहा कि अगर कीमतें अधिक रहती हैं, तो भारत में खरीद में और गिरावट देखने की संभावना है।
वैश्विक स्तर पर ऊंचे भाव के चलते घरेलू बाजार में भी दस ग्राम सोने का भाव 86590 रुपये के साथ रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
2024 में देश की सोने की मांग अधिक रहने के बाद चालू वर्ष में इसमें गिरावट देखने की संभावना है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक सोने की कीमतों में लगातार हो रही तेजी की वजह से चालू साल में गहनों की मांग कम रहने की संभावना है। 2024 में देश की सोने की मांग सालाना आधार पर पांच प्रतिशत बढ़कर 802.80 टन हो गई, जिसके 2025 में घटकर 700 से 800 टन के बीच रहने की उम्मीद है।
देश में सोने की कुल मांग में आभूषणों की मांग 70 प्रतिशत है। परिषद के सूत्रों ने कहा कि सोने की बढ़ती कीमतों से आभूषणों की मांग प्रभावित हो सकती है, लेकिन निवेश मांग अभी भी बरकरार है।
2024 में देश की सोने की मांग नौ साल के उच्च स्तर पर थी, लेकिन चालू वर्ष में इसमें गिरावट दिखाई दे रही है। सोने की कीमतें ऊंची होने की स्थिति में सबसे ज्यादा असर ज्वैलरी डिमांड पर देखने को मिल रहा है।