
भारतीय टीम के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने इंग्लैंड के मौजूदा दौरे में शानदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने दो टेस्ट मैचों में 12 विकेट लिए, जिसमें दो बार पांच विकेट लेने का कारनामा भी शामिल है। भारत के लिए लीड्स और लॉर्ड्स टेस्ट मैचों में जगह पाने वाले बुमराह को एजबेस्टन टेस्ट मैच के लिए आराम दिया गया था। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि जसप्रीत बुमराह 23 जुलाई से मैनचेस्टर में खेले जाने वाले टेस्ट सीरीज के चौथे मैच में खेलेंगे या नहीं। इस बीच सवाल उठ रहे हैं कि क्या जसप्रीत बुमराह के बिना भारतीय टीम के टेस्ट जीतने की संभावना कम हो गई है?
भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे में जसप्रीत बुमराह द्वारा खेले गए दो टेस्ट मैच हार गई थी। जबकि बुमराह एजबेस्टन टेस्ट मैच में नहीं खेले थे, जहां आकाश दीप और मोहम्मद सिराज ने शानदार गेंदबाजी की थी और भारत ने 336 रनों से जीत दर्ज की थी। अब इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर डेविड लॉयड ने बुमराह को लेकर बड़ा बयान दिया है। एक मीडिया इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया, ‘ऐसा कहा जाता है कि जब बुमराह खेलते हैं तो भारतीय टीम मैच हार जाती है। बुमराह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज हैं और वह निजी तौर पर काफी अच्छे हैं।
जसप्रीत बुमराह ने 5 जनवरी 2018 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था। तब से अब तक भारतीय टीम ने कुल 74 टेस्ट मैच खेले हैं। बुमराह ने इन 74 मैचों में से 47 मैच खेले हैं। उन्होंने जो 47 टेस्ट मैच खेले हैं, उनमें से भारत ने 20 टेस्ट मैच जीते हैं। जबकि भारतीय टीम को 27 मैचों में हार का सामना करना पड़ा था। बुमराह जब खेलते हैं तो जीत का प्रतिशत 42.55 रहा है।
दूसरी ओर, बुमराह ने जिन 27 टेस्ट मैचों में नहीं खेला, उनमें से भारतीय टीम ने 19 मैच जीते। जबकि भारतीय टीम को सिर्फ 5 मैचों में हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा 3 मैच ड्रॉ रहे। बुमराह की गैरमौजूदगी में टेस्ट में भारतीय टीम का जीत प्रतिशत 70.37 का हो गया है। इन आंकड़ों ने इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर डेविड लॉयड की दावेदारी को मजबूती दी है।
अब सवाल उठता है कि क्या जसप्रीत बुमराह की व्यक्तिगत सफलता टीम के प्रदर्शन में योगदान नहीं दे पाई। बुमराह का टेस्ट में रिकॉर्ड बेहतरीन रहा है। बुमराह ने अब तक 47 टेस्ट में 19.48 की औसत से 217 विकेट लिए हैं। टेस्ट में 200 से ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में सिर्फ बुमराह का औसत 20 से कम है। उनकी क्षमता पर किसी को कोई संदेह नहीं है। लेकिन ऐसा लगता है कि बुमराह जब खेलते हैं तो टीम उन पर कुछ ज्यादा ही निर्भर हो जाती है या फिर साथी गेंदबाज उनका इतना साथ नहीं देते।