
चोटिल ऋषभ पंत ने अनिल कुंबले को याद दिलाया: देश के लिए खेलना हर खिलाड़ी का सपना होता है, लेकिन कुछ ही खिलाड़ी इस सपने और लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं और इस सपने के दौरान कई खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो गंभीर चोटों के बावजूद देश के लिए खेले हैं। ऋषभ पंत बुधवार को मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में भारत और इंग्लैंड के बीच चौथे टेस्ट मैच के दौरान चर्चा में थे। क्रिस वोक्स की यॉर्कर गेंद पर रिवर्स स्वीप खेलते हुए पंत के दाएं पैर के अंगूठे में फ्रैक्चर हो गया और उन्हें मैदान छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
बीसीसीआई ने कहा कि पंत छह सप्ताह तक क्रिकेट से दूर रहेंगे। हालांकि मैच के दूसरे दिन पंत लंगड़ाते हुए मैदान में उतरे और बल्लेबाजी करते नजर आए। ऋषभ का उत्साह देखकर स्टेडियम में मौजूद फैंस भावुक हो गए। पंत ने 48 गेंदों में 37 रन बनाए। पंत का जज्बा हमें अनिल कुंबले, सचिन तेंदुलकर और युवराज सिंह जैसे क्रिकेटरों की याद दिलाता है, जो चोटिल होने के बावजूद मैदान पर भी उतरे थे।
2002 में वेस्टइंडीज के खिलाफ सेंट जॉन टेस्ट में, अनिल कुंबले ने खेल भावना का एक अच्छा उदाहरण स्थापित किया। गेंदबाजी करते समय गेंद उनकी दाढ़ी से टकराई, जिससे उनका जबड़ा टूट गया। डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी, लेकिन कुंबले ने हार नहीं मानी। चेहरे पर पट्टियां बांधे दर्द से जूझते हुए उन्होंने 14 ओवर गेंदबाजी की और ब्रायन लारा जैसे दिग्गज खिलाड़ी का विकेट लिया। यह पल भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। कुंबले का त्याग और जुनून युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बन गया।
1999 में चेन्नई टेस्ट में सचिन तेंदुलकर ने पीठ दर्द के साथ पाकिस्तान के खिलाफ 136 रनों की ऐतिहासिक पारी खेली थी। उसकी पीठ में असहनीय दर्द हो रहा था। हालांकि, वह मैदान पर अड़े रहे। तब भी भारत 12 रन से हार गया था। लेकिन सचिन के प्रयासों से पता चला कि वह सिर्फ बल्लेबाज ही नहीं बल्कि योद्धा भी हैं। यह पारी आज भी क्रिकेट प्रेमियों के लिए प्रेरणा का प्रतीक है।
युवराज सिंह ने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझने के बावजूद 2011 वर्ल्ड कप में भारत के लिए शानदार प्रदर्शन किया था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में उन्होंने 57 रन बनाकर और 2 विकेट लेकर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। कैंसर के शुरुआती लक्षणों के बावजूद युवराज ने हर मैच में जज्बा दिखाया और भारत को वर्ल्ड कप जिताने में योगदान दिया। उनकी लड़ाई हमें सिर्फ क्रिकेट के मैदान पर ही नहीं बल्कि जिंदगी की चुनौतियों से भी लड़ने की प्रेरणा देती है।