
पहलगाम आतंकी हमले की जांच: सुरक्षा और जांच एजेंसियां हमले में शामिल आतंकियों को यथासंभव जिंदा पकड़ने पर जोर दे रही हैं ताकि पहलगाम नरसंहार की साजिश और उसमें पाकिस्तान की भूमिका का पूरी तरह से पर्दाफाश किया जा सके।
इस बीच, पहलगाम आतंकी हमले की जांच कर रही एनआईए ने अब तक प्राप्त सबूतों और नरसंहार के चश्मदीदों द्वारा दर्ज किए गए बयानों के साथ-साथ संदिग्धों और गिरफ्तार ओवरग्राउंड वर्कर्स से पूछताछ से मिली जानकारी का मूल्यांकन करना शुरू कर दिया।
अब तक मिली जानकारी के आधार पर कहा जा रहा है कि नरसंहार से पहले और बाद में आतंकियों ने पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से संपर्क किया।
आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सैटेलाइट फोन की डिटेल जुटाने के लिए विदेशी विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर लश्कर-ए-तैयबा ने इस हमले को अंजाम दिया है।
22 अप्रैल को बैसरन पहलगाम पर आतंकियों के हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। मृतकों में 25 पर्यटक और एक स्थानीय घुड़सवार शामिल है। लश्कर-ए-तैयबा के हिट स्क्वाड, रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन टीआरएफ ने बाद में इससे इनकार कर दिया था। जांच एजेंसियों ने हमले में शामिल पांच आतंकियों की पहचान की है।